Monday, November 14, 2016 | 8:31:00 PM
ई सिंगरहार
मुठी भरि सिंगरहारी ,छिरिया गेल चारु क़ात
एकटा हंसी अहांक पसरल जेना स्वर्ण प्रभात
सिह्कि गेल उन्मेष नव डारि डारि पात पात
लहरायल मधु बौर सन सिहरि गेल गात गात
आंजुरि भरि रौद जेना जगमगायल मोन अंगना
स्वप्निल ओ पुलक क्षण निसांस पीवलक चेतना
आह !
ई सिंगरहार - हंसी आ कैक्टस क जिनगी
काँट भरल गुलाब नेने मुसकाय रहल फुनगी !!!
Shefalika Verma
Posted By Dua